कुछ न कहने से भी छिन जाता है ऐजाज़े सुखन
ज़ुल्म सह के भी ज़ालिम की मदद होती है।
यकीनन आपको इस पर यकीन नहीं है..... देवता कभी ज़ालिम होते ही नहीं हैं। वे तो सदा-सर्वदा महान ही होते हैं। आपका देवता भी ऐसे ही महान लोगों में शुमार है। मैं गलत हूँ....घर वाले गलत हो सकते हैं लेकिन देवता गलत नहीं हो सकता। वो तो बहुत मासूम है...बहुत भोला... । जो बातें उसे ठेस पहुंचाती हैं वे अंततः आपको भी तकलीफ देने लगती हैं। उसका दुश्मन आपका दुश्मन। आपके दोस्त तो आपके दुश्मन हैं ही। चलो ऐसे ही सही। चल के देख लो। ज़हां तक चल सको .... मुबारक ! जब राहें हमवार न रहें....जब देवता का दैत्य सर चढ़कर बोलने लगे .... जब किसी अपने की जरूरत महसूस हो ....तब...मुझे याद भी मत करना...मैं तुम्हारे पास ही हूँ...पास भी और साथ भी। तू ज़हां-ज़हां चलेगी.....मेरा साया साथ होगा।
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