बुधवार, 14 जुलाई 2010

आई लव यू मम्मा

मम्मा, सागर आपके साथ नहीं हैं....न रहने दो...मैं हूँ न। आप बिलकुल सही हैं। जो कर रहीं हैं वही सही है। दरअसल सब लोग आपको पापा से दूर करना चाहते हैं। आप इनके बहकावे में मत आना। ये सब अपना उल्लू सीधा करने वाले लोग हैं। मतलबी, स्वार्थी और मौकापरस्त। पापा कितने अच्छे हैं....आप से कितना प्यार करते हैं ..... जब भी बड़ी माँ के पास से आते हैं आपको कितना प्यार करते हैं। बाज़ार ले जाते हैं। बढ़िया-बढ़िया खाना खिलाते हैं। मीठी-मीठी बातें करते हैं। आप जैसी पति-परायणाको और चाहिए भी क्या ? आप मुझे रामायण सुनाती हैं। राजा दशरथ के भी तो तीन पत्नियाँ थीं....तो मेरे पापा क्या किसी राजा से कम हैं....वे क्या दो बीबियाँ भी नहीं रख सकते ? जब आपको कोई एतराज़ नहीं तो और किसी की मजाल ही क्या ? मैं तो कहती हूँ कि पापा को इतना इंतजार क्यों करवा रही हो ? बुला क्यों नहीं लेती बड़ी माँ को....ऐसा करते हैं अपन दोनों चलते हैं बड़ी माँ को लेने। वे मेरी मनुहार ज़रूर मानेंगी। फिर हम चारो लोग खूब धमाल करेंगे। पापा को बड़ी माँ के पास सुलाकर हम दोनों खूब मस्ती करेंगे। कितना मज़ा आएगा। सागर को मैं मना कर दूंगी कि अब आपको हमारे घर आए की कोई ज़रुरत नहीं। ठीक है न ? अब बेफिक्र होकर सो जाओ। आई लव यू मम्मा ! गुड नाईट....टेक केयर.

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