शनिवार, 17 जुलाई 2010

व्हिच थिंग इस मिसिंग ?

लडकियाँ अलग-अलग। उम्र भी अलग। माहौल और क्लास भी अलग। तीनो की शादी का वक्फा और पतियों का पेशा भी अलग। मिजाज़ तो खैर अलग-अलग होने ही थे। फिर भी एक एहसास तीनो को बिलकुल एक जैसा....... क्या ? यह कि सब कुछ बहुत शानदार है मगर फिर भी ........समथिंग इज मिसिंग.....! यह जो मिस है...यानी खो गया है... या खो सा रहा है वह बड़ा कन्फयूजिंग है......! यार मम्मा , इन तीनो लडकियों को ये क्यों लगता है कि इनका मैं खो गया है ? ये तीन अकेली नहीं हैं....इन जैसी जाने कितनी हैं.... उनका भी समथिंग मिस हो गया है। क्यों मिस हो गया ? कहाँ खो गया ? क्या सोचा था ? यह कि शादी के बाद ' दो इकाई गुना हो इकाई हुईं , धीरे - धीरे निलंबित हुईं दूरियां' जैसा कुछ नहीं करेंगे ? मैं को तिरोहित नहीं किया फिर भी विलेन हो गये पिया ?
उस शख्स की सोचो जिसका मैं भी गया और मज़ा भी नहीं आया। बहुत कुछ मिल जाये तो बहुत कुछ खो जाने का रोना रोने का शगल कितना दिलचस्प हो जाता है ?

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