बुधवार, 19 मई 2010
पहली पलटी
मम्मा, आज भैया ने पहली बार पलटी खाई। आपको खुश देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा। लेकिन एक बात समझ में नहीं आई। आपने अपनी ख़ुशी में सबको शरीक किया ------- सागर को छोडकर। क्यों? उन्होंने क्या गुनाह कर दिया ? उन्हें बताना भी ज़रूरी नहीं लगा आपको ? कोई शख्स एक पल में इतना गैर ज़रूरी कैसे हो जाता है ? और हाँ, आपको झूठी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कोई हो न हो, मैं तो हमेशा उनके पास रहूंगी ही। मेरा उनका रिश्ता ही ऐसा है....... दर्द का रिश्ता ! ...... आप नहीं समझोगी .... जरूरत भी क्या है समझने की। नमस्ते !
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Very Good...
जवाब देंहटाएंअंतर्व्यथा/अंतरकथा को बयान करने का आपका अन्दाज़ बहुत प्यारा है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर
शायद कोई व्यक्तिगत संदेश सार्वजनिक हो गया है.
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