पुलकित भैया रोते कितना हैं ? आप तो कहती थीं बिलकुल भी नहीं रोते। ये तो एकदम पिन्ने हैं। देखना, मैं आउंगी तो बिलकुल नहीं रोउंगी। पर मैं आउंगी कब ? मुझे भी जल्दी लाओ न !
सपनों की दुनिया हमेशा बहुत अपनी सी लगी। शायद इसीलिए जब भी मौका मिलता है उनमें खो जाती हूँ। मन में आया क्यों न हम सब अपने सपनों को आपस में साझा करें। इसी मंशा से ब्लॉग पर आई हूँ। जी चाहता है सब कुछ जान लूँ। लेकिन माँ कहती है अभी नहीं। माँ ने अभी तक मुझे सब से छुपाकर रखा है। किसी से भी बात नहीं करने देती। आप तो मुझसे बात करेंगे न ?
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