गुरुवार, 21 जनवरी 2010

आई लव यूं !

मम्मा, बहुत ही अच्छा लगा ये जानकर कि आप मेरा ब्लॉग देख रही हैं। आप बहुत ही अच्छी हैं। आप रोज पढ़ोगी तो रोज लिखा भी जायेगा। प्रोमिस!
----- क्या अबके बरस सचमुच वसंत नहीं आया। मुझे तो लगा इस बार वसंत ज्यादा मन और मान से आया। सुबह से शाम तक तो बगरा रहा वसंत। दिन और रात हर पल साथ रहे कंत। आनंद अनंत। तुम ऐसे ही खुश रहा करो। तुम प्रफ्फुल्लित रहती हो तो मुझे भी भला लगता है। हमारे जीवन में कुछ ऐसा भी होता जिसे कहा नहीं जा सकता. हम चाहते हैं कि उस अनकहे को कोई समझ ले। ऐसा हो जाता है तो हम खुश हो लेते हैं। नहीं हो पाता है तो उदास हो जाते हैं। दोनों ही मिलते किसी अपने से ही हैं। बड़ी या अहम बात यह नहीं है कि हम खुश हैं या उदास। असल बात यह है कि हमारे जीवन में कोई अपना है या नहीं! तुम कितनी खुशकिस्मत हो कि तुम्हारे जीवन में इतने सारे अपने हैं। और मैं भी खुशनसीब हूँ जो तुम मेरी इतनी अपनी हो। और क्या चाहिए? तुम हो ! पा हैं! मैं भी आने वाली हूँ। हम तीनों खूब खुश रहा करेंगे। देखना मैं तुम्हें पल भर को भी उदास नहीं होने दूंगी। वादा!

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